Mata Shailputri Temple Baramula Jammu Kashmir शैलपुत्री देवी मंदिर जम्मू कश्मीर विस्तृत जानकारी

Mata Shailputri Temple Baramula Jammu Kashmir शैलपुत्री देवी मंदिर, जिसे देवीबल या शैल देवी के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले में स्थित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है। यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम रूप शैलपुत्री को समर्पित है, जो हिमालय की पुत्री के रूप में पूजी जाती हैं। मंदिर झेलम नदी (वितस्ता) के बाएँ तट पर स्थित है और बारामूला शहर से मात्र 1 किलोमीटर दूर, बारामूला-उरी मार्ग पर अनापुर (वर्तमान खानपुर) में अवस्थित है। यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है और कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, जहाँ इसे वैष्णो देवी के समकक्ष माना जाता है। मंदिर का आधार एक विशाल चट्टान पर है, जिसे स्थानीय मान्यता के अनुसार देवी का स्वयंभू स्वरूप माना जाता है।

मुख्य देवता और महत्व

शैलपुत्री देवी को ‘शैल’ अर्थात् चट्टान की पुत्री कहा जाता है, जो शक्ति-संस्कृति की प्रतीक हैं। यह देवी चंद्रमा की अधिष्ठात्री हैं और नवरात्रि के प्रथम दिन इनकी पूजा की जाती है। भक्त स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति के लिए यहाँ आते हैं। मंदिर का महत्व इसकी प्राचीनता और सामुदायिक सद्भाव में है, जहाँ पास ही हजरत जानबाज-ए-वली (र.अ.) की मस्जिद स्थित है और दोनों स्थलों पर सदियों से शांति बनी हुई है।

इतिहास और पौराणिक कथाएँ

मंदिर का इतिहास सतिसर (प्राचीन कश्मीर झील) से जुड़ा है, जहाँ माना जाता है कि 52 चट्टानों के टुकड़ों से ज्वाला रूप में देवी प्रकट हुईं। किंवदंती के अनुसार, यह शक्ति-पीठ सती के शरीर के भाग गिरने से उत्पन्न हुआ। मंदिर का मूल ढाँचा सम्राट अशोक के काल में बनवाया गया माना जाता है, लेकिन वर्तमान संरचना 1970 के दशक में एक सेना अधिकारी द्वारा निर्मित हुई। 1997 और 2016-17 में सेना द्वारा मरम्मत कराई गई, क्योंकि भूमि क्षरण से क्षति हुई। 1905 के भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने भी इसे प्रभावित किया, लेकिन यह हमेशा पुनर्निर्मित होता रहा। स्थानीय कथा के अनुसार, मंदिर चट्टान से स्वयं प्रकट हुआ और कभी उग्रवाद के दौरान हमले का शिकार नहीं हुआ।

मंदिर की वास्तुकला

मंदिर चार विशाल चिनार वृक्षों से घिरा हुआ है, साथ ही दो अखरोट और 15 पॉपलर के पेड़ हैं, जो लगभग 7 कनाल भूमि पर फैला है। मुख्य प्रवेश द्वार सड़क के निकट है, जहाँ से 8 सीढ़ियाँ उतरकर मंदिर परिसर में पहुँचा जाता है। गर्भगृह तक पहुँचने के लिए 7 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। परिसर 105 फीट लंबा और 47 फीट चौड़ा है, जिसमें संगमरमर का फर्श, परिक्रमा पथ और एक पवित्र झरना (60 फीट लंबा, 20 फीट चौड़ा) है। झरने में क्षीर भवानी जैसा संगमरमर का छोटा मंदिर है, जहाँ दक्षिणमुखी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है। परिसर में एक धर्मशाला भी है, जो वर्तमान में सुरक्षा बलों के कब्जे में है। वास्तुकला में हिंदू शैली के तत्व प्रमुख हैं, जो प्राचीन चट्टान आधार पर टिकी हुई है।

दर्शन, आरती और भोग के समय

मंदिर के दर्शन का समय सामान्यतः सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक होता है, लेकिन मौसम और त्योहारों के अनुसार बदल सकता है। आरती दिन में 4-5 बार होती है: मंगला आरती (सुबह), मध्याह्न आरती, सायंकीय आरती (शाम 6:30 बजे) और शयन आरती। भोग में फल, मिठाई और स्थानीय प्रसाद जैसे खीर चढ़ाया जाता है। नवरात्रि के दौरान विशेष लंगर और पूजा आयोजित होते हैं।

त्यौहार और मेले

मंदिर में वर्ष भर उत्सव होते हैं, लेकिन प्रमुख हैं:

  • नवरात्रि: प्रथम दिन विशेष पूजा, मंदिर रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
  • राम नवमी: सबसे बड़ा मेला, जिसमें सोपोर, कुपवाड़ा, हंदवाड़ा और सीर जागीर से हजारों भक्त आते हैं।
  • मकर संक्रांति और शिवरात्रि: विशेष हवन और भजन-कीर्तन। इन दिनों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ जाती है, और स्थानीय कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

पहुँचने के साधन

मंदिर श्रीनगर से 55 किमी दूर बारामूला में है, इसलिए मुख्य रूप से श्रीनगर के माध्यम से पहुँचा जाता है।

  • हवाई मार्ग द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (55 किमी) है। दिल्ली, जम्मू, मुंबई आदि से दैनिक उड़ानें उपलब्ध। हवाई अड्डे से टैक्सी या JKSRTC बस से बारामूला (1-2 घंटे, किराया 500-1000 रुपये)। फिर मंदिर तक 1 किमी पैदल या ऑटो।
  • रेल मार्ग द्वारा: निकटतम प्रमुख स्टेशन जम्मू तवी (300 किमी) है। जम्मू से बस या टैक्सी से श्रीनगर (8-10 घंटे), फिर बारामूला। कश्मीर में ट्रेन सुविधा सीमित है, इसलिए सड़क पथ बेहतर।
  • सड़क मार्ग द्वारा: श्रीनगर से JKSRTC बसें या शेयर्ड टैक्सी (1.5-2 घंटे, किराया 100-200 रुपये)। दिल्ली से (800 किमी, 14-16 घंटे), जम्मू से (300 किमी, 8-10 घंटे) HRTC/JKSRTC बसें उपलब्ध। NH-44 से अच्छी सड़कें, लेकिन पहाड़ी मार्ग पर सावधानी बरतें। मंदिर बारामूला-मुजफ्फराबाद सड़क पर है।

निकटवर्ती पर्यटन स्थल

  • हजरत जानबाज-ए-वली मस्जिद: मंदिर से 0.5 किमी दूर, सदियों पुरानी मस्जिद, सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक।
  • कोटि तीर्थ: विंध्यु नदी तट पर पवित्र स्थल।
  • भैरव मंदिर: गोसाईटेंग की तलहटी में, बादाम के बागान के बीच।
  • गोसाईटेंग: सात झरनों का स्थान, रामायण से जुड़ा।
  • छत्रपदशाही: छठे सिख गुरु द्वारा दर्शन, विंध्यु के दाहिने तट पर।
  • भैरव बाल पर्वत: मंदिर के सामने, आधार पर छोटा मंदिर। अन्य: अलाइपत्रि फ्रोजन झील, बुटापठरी, कमान अमन सेतु (उरी)।

सबसे अच्छा मौसम यात्रा के लिए

मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर तक है, जब तापमान 10-25°C रहता है और मौसम सुहावना होता है। राम नवमी (मार्च-अप्रैल) और नवरात्रि (अक्टूबर) के दौरान विशेष आकर्षण। सर्दियों (नवंबर-फरवरी) में बर्फबारी से सड़कें बंद हो सकती हैं। मानसून (जुलाई-अगस्त) में भूस्खलन का खतरा, इसलिए टालें।

यात्रा की तैयारी और टिप्स

  • कपड़े और सामान: मामूली कपड़े पहनें (मंदिर में सिर ढकें, जूते उतारें)। ठंडे मौसम में जैकेट, गर्मियों में हल्के कपड़े। पानी, स्नैक्स, मोशन सिकनेस दवा और आईडी प्रूफ रखें। चमड़े की वस्तुएँ न लाएँ।
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा: कश्मीर में सुरक्षा सलाहकार जाँचें। ऊँचाई पर सिरदर्द हो सकता है, हाइड्रेटेड रहें। महिलाओं के लिए सोलो यात्रा में सावधानी बरतें।
  • आवास: बारामूला में होटल उपलब्ध (1000-3000 रुपये/रात), या श्रीनगर में रहकर दिन यात्रा। धर्मशाला सुरक्षा बलों के कब्जे में है।
  • भोजन: स्थानीय ढाबों में कश्मीरी व्यंजन जैसे वोअर, रोगन जोश ट्राई करें, लेकिन शाकाहारी विकल्प चुनें।
  • फोटोग्राफी: गर्भगृह में प्रतिबंधित, बाहरी क्षेत्र में अनुमति।
  • बजट: दैनिक 2000-4000 रुपये (यात्रा, भोजन, रहना)। त्योहारों में पहले बुकिंग करें।
  • अन्य टिप्स: सुबह जल्दी पहुँचें, चाँदनी रातों में रहस्यमयी अनुभव। पर्यावरण संरक्षण करें, प्लास्टिक न फेंकें। स्थानीय गाइड लें यदि आवश्यक।

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