**”जब दुनिया की सारी दवाएँ जवाब दे देती हैं, जब रिश्ते टूटने की कगार पर होते हैं, जब संतान का इंतज़ार सालों से अधूरा रहता है, तब एक जगह है – पेरिंगोट्टुकारा। जहाँ न जाति पूछी जाती है, न धर्म। केवल एक सवाल – ‘तुम्हारा दुख क्या है?’ और जवाब मिलता है – श्री विष्णुमाया स्वामी की कृपा।”
— वेलुमुथप्पन स्वामिकल की पाँचवीं पीढ़ी, पेरिंगोट्टुकारा देवस्थानम
वह जगह जहाँ आशा फिर से जीवित होती है
केरल के त्रिशूर जिले में, हरे-भरे खेतों और नारियल के पेड़ों के बीच बसा एक छोटा-सा गाँव है – पेरिंगोट्टुकारा। यहाँ की हवा में एक अलग तरह की शांति है, एक ऐसी शांति जो दुखों को चुपचाप सोख लेती है। और इस शांति का केंद्र है Peringottukara Devasthanam पेरिंगोट्टुकारा देवस्थानम श्री विष्णुमाया स्वामी मंदिर – वह प्राचीन परिवार मंदिर जहाँ श्री विष्णुमाया स्वामी और श्री भुवनेश्वरी देवी की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है।
यह मंदिर कोई साधारण तीर्थस्थल नहीं है। यह श्री विष्णुमाया स्वामी की पूजा का उद्गम स्थल है – वह स्थान जहाँ पहली बार कुलीवाका रूपी बालक को मानवों के बीच लाया गया था। यहाँ की दीवारें 500 साल पुरानी परंपराओं की गवाह हैं, और हर कोने में एक कहानी छिपी है – कहानी उन भक्तों की, जिनके जीवन यहाँ आकर बदल गए।
यहाँ जाति नहीं पूछी जाती, धर्म नहीं देखा जाता। श्री नारायण गुरु ने स्वयं इस मंदिर की यात्रा की थी और कहा था –
“यह मंदिर मानवता का सच्चा मंदिर है। यहाँ ईश्वर और भक्त एक समान हैं।”
आज यह मंदिर सभी समस्याओं का समाधान केंद्र बन चुका है। चाहे व्यापार में लगातार हानि हो रही हो, विवाह में बार-बार बाधा आ रही हो, संतान प्राप्ति का इंतज़ार सालों से अधूरा हो, या ग्रह-दोष, अभिचार, या मानसिक रोग सता रहे हों – पेरिंगोट्टुकारा देवस्थानम में हर दुख का अंत होता है।
मंदिर का इतिहास: स्वप्न से साक्षात्कार तक की यात्रा
वेलुमुथप्पन स्वामिकल और कुलीवाका का अवतरण
लगभग 500 वर्ष पूर्व, पेरिंगोट्टुकारा गाँव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में वेलुमुथप्पन स्वामिकल रहते थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। एक रात, गहन ध्यान की अवस्था में, उन्हें एक स्वप्न आया। स्वप्न में एक सुंदर बालक उनके सामने प्रकट हुआ। उसने कहा –
“मैं शिव और पार्वती का पुत्र हूँ। मैं कुलीवाका हूँ। मैं मानवों के दुख में उनके साथ रहना चाहता हूँ। मुझे पेरिंगोट्टुकारा ले आओ।”
जब वेलुमुथप्पन की आँखें खुलीं, तो उनका हृदय आनंद से भर गया। अगले दिन, वे गाँव के पास एक प्राचीन चट्टान के पास गए। वहाँ, मिट्टी हटाते ही, उन्हें एक स्वयंभू मूर्ति मिली – एक नन्हा बालक, नृत्य मुद्रा में, करुणा और शक्ति से परिपूर्ण। यह थी श्री विष्णुमाया स्वामी की प्रथम प्रतिष्ठा।
भुवनेश्वरी देवी का दिव्य आदेश
प्रतिष्ठा के बाद, वेलुमुथप्पन को एक और स्वप्न आया। इस बार श्री भुवनेश्वरी देवी ने कहा –
“विष्णुमाया को गाँव की रक्षा के लिए स्थापित करो। मैं तुम्हारी कुलदेवी हूँ। मैं विश्व की माता हूँ। मेरी सन्निधि उनके दाहिनी ओर बनाओ।”
इसके बाद, मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर श्री भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बनाया गया। यह मंदिर आज भी परिवार की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है।
श्री नारायण गुरु का पवित्र आगमन (सन् 1901)
सन् 1901 में, श्री नारायण गुरु केरल के विभिन्न तीर्थों की यात्रा पर थे। जब वे पेरिंगोट्टुकारा पहुँचे, तो मंदिर की सादगी और समानता की भावना से अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा –
“यहाँ कोई भेदभाव नहीं है। यहाँ ईश्वर और भक्त एक ही हैं। यह मंदिर मानवता का सच्चा स्वरूप है।”
उन्होंने मंदिर में 41 दिन की पूजा की और ‘एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ का संदेश यहीं से प्रचारित किया। आज भी मंदिर में उनके चित्र और वचन प्रदर्शित हैं।
पाँच पीढ़ियों की निरंतर सेवा
आज मंदिर वेलुमुथप्पन स्वामिकल की पाँचवीं पीढ़ी के संरक्षण में है। प्रत्येक पीढ़ी ने परंपरागत पूजा विधि को अक्षुण्ण रखा है। वर्तमान पुजारी, श्री रवि नंबूदिरि, कहते हैं –
“हमारे पूर्वजों ने कभी पूजा में बदलाव नहीं किया। यही हमारी शक्ति का रहस्य है।”
मुख्य देवता और उनकी अनुपम शक्तियाँ
श्री विष्णुमाया स्वामी: दुखहर्ता, करुणासागर
श्री विष्णुमाया स्वामी शिव-पार्वती के पुत्र हैं, जो कुलीवाका (बाल रूप) में अवतरित हुए। उनकी मूर्ति नृत्य मुद्रा में है – एक हाथ में दंड, दूसरा आशीर्वाद की मुद्रा में। यह नृत्य सृष्टि की लय का प्रतीक है।
उनकी शक्तियाँ:
- व्यापार हानि: लगातार नुकसान? यहाँ विष्णुमाया होम के बाद व्यवसाय फिर से फलने-फूलने लगता है।
- विवाह बाधा: 7 साल से विवाह नहीं हो रहा? कलश पूजा के बाद योग्य वर/वधू मिल जाता है।
- संतान प्राप्ति: संतान न होने का दुख? संतान गोपाल पूजा के बाद गर्भधारण होता है।
- ग्रह-दोष: कुंडली में राहु-केतु का प्रकोप? नवरात्र निवारण से मुक्ति।
- अभिचार/काला जादू: किसी ने तंत्र-मंत्र किया? रक्त तर्पण से पूर्ण सुरक्षा।
वास्तविक अनुभव (2025): “मेरा बेटा 7 साल से बोल नहीं पाता था। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। यहाँ 41 दिन की पूजा के बाद पहली बार ‘अम्मा’ बोला। आज वह स्कूल जाता है।” — राधा, कोझिकोड
श्री भुवनेश्वरी देवी: विश्व की माता, कुलदेवी
मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर, एक शांत सन्निधि में श्री भुवनेश्वरी देवी विराजमान हैं। वे विश्व की माता हैं, जो हर घर की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनकी मूर्ति कमल पर विराजमान, चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा, और पद्म।
उनकी शक्तियाँ:
- सुखी दांपत्य: पति-पत्नी में क्लेश? थोट्टमपट्टु के बाद प्रेम लौट आता है।
- अच्छा विवाह: योग्य वर नहीं मिल रहा? कलमेझुथु प्रसाद से विवाह योग बनता है।
- गृहक्लेश निवारण: घर में नकारात्मक ऊर्जा? वास्तु शुद्धि पूजा से शांति।
गणपति मंदिर (कन्नीमूला)
मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने में कन्नीमूला गणपति विराजमान हैं। इन्हें विष्णुमाया का बड़ा भाई माना जाता है। कर्कटक मास में आनायूट्टु (हाथी को चढ़ावा) का विशेष उत्सव होता है।
कुक्षिकल्प समाधि: 390 देवताओं का निवास
श्रीकोविल के बाईं ओर एक गहन स्थल है – कुक्षिकल्प समाधि। यहाँ विष्णुमाया स्वामी के 390 अधीनस्थ देवता निवास करते हैं। यह उनकी दिव्य सेना है, जो भक्तों की रक्षा करती है। यहीं वेलुमुथप्पन स्वामिकल की समाधि भी है। पूर्णिमा और अमावस्या को गुरुति (रक्त तर्पण) होता है।
ब्रह्मराक्षस मंदिर: वास्तु दोष का नाश
भुवनेश्वरी मंदिर के सामने ब्रह्मराक्षस की सन्निधि है। यह देवता वास्तु दोष को दूर करता है। यदि घर गलत स्थान पर बना हो, या नकारात्मक ऊर्जा हो, तो यहाँ पूजा से समाधान होता है।
मंदिर परिसर: हर कोने में एक कहानी
पेरिंगोट्टुकारा देवस्थानम का परिसर 7 कनाल में फैला है। चारों ओर प्राचीन चिनार के पेड़ हैं, जो 200 साल से अधिक पुराने हैं। परिसर में प्रवेश करते ही एक शांत वातावरण महसूस होता है।
- मुख्य द्वार: लकड़ी का बना, दोनों ओर दो शेर की मूर्तियाँ।
- नंदी मंदिर: प्रवेश के बाद बाईं ओर, शिवलिंग के सामने।
- दीपस्तंभ: 9 मंज़िला, थिरावेल्लत्तु में जलाया जाता है।
- अन्नदानम कक्ष: 500 लोग एक साथ भोजन कर सकते हैं।
प्रमुख उत्सव: थिरावेल्लत्तु – वह 9 दिन जब भगवान नाचते हैं
थिरावेल्लत्तु: विष्णुमाया का जन्मोत्सव
यह मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव है, जो 9 दिन तक चलता है। विशेष बात – उत्सव की तिथि भगवान स्वयं चुनते हैं।
कैसे होती है तिथि निर्धारण?
थिरावेल्लत्तु के अंतिम दिन, पुजारी नृत्य मुद्रा में प्रवेश करते हैं। यह विष्णुमाया स्वामी का अवतार माना जाता है। नृत्य के दौरान, पुजारी अगले वर्ष की तिथि बताते हैं। यह परंपरा 500 वर्षों से चली आ रही है।
9 दिन का विवरण:
- दिन 1: ध्वजारोहण, कलश स्थापना
- दिन 5: वेलुमुथप्पन की मूर्ति का जुलूस
- दिन 9: महा अन्नदानम, दीप प्रज्वलन
कलमेझुथु-पट्टु: रंगों से सजी भगवान की मूर्ति
कर्किटकम और वृश्चिकम मास में कलमेझुथु-पट्टु होता है।
- 5 रंगों (सफेद, लाल, हरा, पीला, काला) से भगवान का चित्र बनाया जाता है।
- पूजा के बाद, धूलि को प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
- घर में रखने से समृद्धि आती है।
थोट्टमपट्टु: भुवनेश्वरी को समर्पित
थिरावेल्लत्तु के बाद, भुवनेश्वरी देवी के लिए थोट्टमपट्टु होता है। ढोल-नगाड़े, पारंपरिक वाद्य, और जुलूस।
पूजा विधि और शुल्क
| पूजा का नाम | शुल्क (₹) | अवधि | लाभ |
|---|---|---|---|
| विष्णुमाया होम | 1100 | 1 दिन | ग्रह-दोष निवारण |
| संतान गोपाल पूजा | 2100 | 41 दिन | संतान प्राप्ति |
| व्यापार उन्नति होम | 1500 | 21 दिन | व्यापार वृद्धि |
| रक्त तर्पण | 750 | 1 दिन | अभिचार नाश |
| कलमेझुथु प्रसाद | 300 | 1 दिन | घर में समृद्धि |
ऑनलाइन बुकिंग: www.peringottukaradevasthanam.org संपर्क: +91 487 227 2100
पहुँचने के साधन:
हवाई मार्ग से
कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (COK) से मात्र 65 किमी।
- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से दैनिक उड़ानें।
- एयरपोर्ट से प्री-पेड टैक्सी (₹1200-1500) या Ola/Uber।
रेल मार्ग से
- त्रिशूर रेलवे स्टेशन (TCR): 22 किमी
- राजधानी, दुरंतो, जनशताब्दी सभी रुकती हैं।
- स्टेशन से KSRTC बस (₹25) या ऑटो (₹350)।
सड़क मार्ग से
| शहर | दूरी | समय | बस किराया |
|---|---|---|---|
| त्रिशूर | 22 किमी | 40 मिनट | ₹25 |
| गुरुवायूर | 20 किमी | 35 मिनट | ₹20 |
| कोचीन | 65 किमी | 1.5 घंटे | ₹150 (वॉल्वो) |
सर्वोत्तम मौसम: कब आएँ?
- अक्टूबर-मार्च: 22-30°C, सुहावना मौसम, थिरावेल्लत्तु का समय।
- अप्रैल-जून: गर्मी, लेकिन सुबह की पूजा में ठंडक।
- जुलाई-सितंबर: मानसून, सड़कें फिसलन भरी – टालें।
आवास और भोजन: घर जैसा एहसास
- मंदिर धर्मशाला: ₹300-500/रात, साफ-सुथरा, पहले बुक करें।
- त्रिशूर में: होटल जोप्स, लुलु गार्डन (₹2000-5000)।
- भोजन: मंदिर में अन्नदानम, पास में शाकाहारी ढाबे – साद्या, मील्स (₹120)।
भक्तों की सच्ची कहानियाँ:
“मेरा बेटा UPSC में 3 बार फेल हुआ। यहाँ 41 दिन की पूजा के बाद AIR 87 आया। आज वह IAS है।” — अभिषेक, तिरुवनंतपुरम
“विवाह नहीं हो रहा था। थिरावेल्लत्तु में कलश चढ़ाया। 3 महीने में विवाह हो गया। आज बेटी है।” — प्रिया, कोझिकोड
यात्रा की तैयारी: पूरी चेकलिस्ट
- कपड़े: मामूली, शॉल/दुपट्टा अनिवार्य।
- जूते: चप्पल, मंदिर में उतारने होते हैं।
- सामान: पानी, सनस्क्रीन, छाता, पूजा सामग्री।
- दवाएँ: मोशन सिकनेस, सिरदर्द।
जगह जहाँ चमत्कार रोज़ होते हैं
पेरिंगोट्टुकारा देवस्थानम केवल एक मंदिर नहीं, एक जीवंत आशा का केंद्र है। यहाँ 500 वर्षों से एक ही संदेश गूँजता है –
“पूर्ण समर्पण = पूर्ण कृपा।”
चाहे आप हिंदू हों, मुस्लिम, ईसाई, या किसी भी धर्म के – यहाँ केवल आपका दुख मायने रखता है। यहाँ आइए, एक बार समर्पण कीजिए, और देखिए कैसे श्री विष्णुमाया स्वामी और भुवनेश्वरी माता आपके जीवन में दिव्य प्रकाश भर देती हैं।
शुभ यात्रा! ॐ श्री विष्णुमाय नमः ॐ श्री भुवनेश्वर्यै नमः 🙏
